Posted in India, Life, Love, Poetry on September 23, 2017|
For my lovely Aarya on her first birthday!
आज सवेरा कुछ अद्भुत सा है
ना पंछियों की चह चाहट है
ना ही आसमां में रंग है
फिर भी ज़हन में नया आगाज़ है
मैं उठ चला ढूढ़ने कुछ
पर मालूम नहीं वोह है क्या
इधर उधर झाँक लिया सवेरा
पर ओझल सा है फिर भी सब कुछ
खिल खिलाहट सी है अब कोई सुनाई दी
कुछ इतरन सी महसूस हो रही हवाओं में
हलके से कदमों की आहट है आने लगी
और दो धड़कने सुर हैं मिलाने लगी
देखते ही समां अब बदल सा गया
उत्साह से पंछी हैं चहक रहे , रंगों में नए रंग हैं
सुनहरे फूलों से बिछी है उसकी राह
मेरी ज़िन्दगी बनकर आ रही है आर्या
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