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Posts Tagged ‘hindi-poem’

किले बने नही इट पत्थर से
किले हैं बने दिलो दिमाग के खैमानो से ||

जंग जीती नहीं तलवारो ने
जंग जीती है शेरदिल मस्तानो ने ||

प्यार मोहब्बत की सुर्खियां है किताबों मे
पर कहानियां लिखीं है दीवानों ने ||

पैरों पर खड़े हुए नहीं अपने आप में
पहुंचाया हैं माँ बाप के त्यागे अरमानों ने ||

दुनिया बदली नही वक़्त के तकाज़े से
दुनिया बदली है जुनून वाले इंसानों ने ||

इमारते बानी नहीं मशीनो से
एक एक ईट से है बनाई दुनिया बदलने वालोँ ने ||

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एहसास (2017)

अभी आँखे खोली हैं मैंने

लम्बे दौर के बाद हूँ जागा

ओझल सा है नज़ारा सामने

एक नए समय में अभी नहीं तकाज़ा

 

कल तक था मैं चल रहा अकेले

अब कई मुसाफिर हैं साथ मेरे

कल तक मैंने थी एक राह बनाई

अब कई राहें हैं सामने मेरे

 

मैं उठ रहा हूँ इस दौर से

दस्तक देता नए दरवाज़ों पर

एक हाथ से थामा है आज को

और निगाहें हैं आगाज़ों पर

 

कुछ दीवारें अभी बनी नहीं

इमारतें भी नयी पुरानी हैं

दूर तलक देख रहा हूँ अब

कल की झलक अभी रूहानी है

 

आँख अब सो सकती नहीं

मंज़र नज़र आने सा लगा है

हाथ खोल समेट रहा हूँ यह क्षण

यह नया दौर मुझे अपनाने लगा है

 

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20150912 Seattle Falls

 

बहते झरने की बौछार ने कहा

छोटी हूँ मैं पर नवजीवन हूँ लाती ।

कुछ अंश देती हूँ संसार को

और धरती पहुंच धारा हूँ बन जाती ॥

 

जीवन प्रदान दायित्व है मेरा

चंद बूंदों से सही , फिर भी हूँ बाँट रही ।

आँखें मूँद धरती की गोद में हूँ समाती

कण कण से अपने सरलता को हूँ छांट रही ॥

 

मनुष्य , फिर तुम क्यों हो थमे हुए

सक्षम हो , श्रेष्ठ जीवन है प्राप्त किया ।

अहम और स्वयं में हो क्यों फसे हुए

जब सृष्ठि ने है तुमको प्रताप दिया ॥

 

तुम भी हो समय की एक धारा

जीवन आया है , फिर लौट जायेगा ।

क्षण क्षण से अपने करो कुछ उद्धार

आने वाला हर जीवन फल जिसका पायेगा ॥

 

मैं तो धारा हूँ , नदिया बन दायित्व निभायूँगी

तुमने तो एक ही जीवन पाया है ।

आँखें खोलो , माया छोड़ो , नवजीवन करो प्रदान

मनुष्य , इस कारणवष तू यहाँ आया है ॥

 

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