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Posts Tagged ‘poem’

किले बने नही इट पत्थर से
किले हैं बने दिलो दिमाग के खैमानो से ||

जंग जीती नहीं तलवारो ने
जंग जीती है शेरदिल मस्तानो ने ||

प्यार मोहब्बत की सुर्खियां है किताबों मे
पर कहानियां लिखीं है दीवानों ने ||

पैरों पर खड़े हुए नहीं अपने आप में
पहुंचाया हैं माँ बाप के त्यागे अरमानों ने ||

दुनिया बदली नही वक़्त के तकाज़े से
दुनिया बदली है जुनून वाले इंसानों ने ||

इमारते बानी नहीं मशीनो से
एक एक ईट से है बनाई दुनिया बदलने वालोँ ने ||

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20150912 Seattle Falls

 

बहते झरने की बौछार ने कहा

छोटी हूँ मैं पर नवजीवन हूँ लाती ।

कुछ अंश देती हूँ संसार को

और धरती पहुंच धारा हूँ बन जाती ॥

 

जीवन प्रदान दायित्व है मेरा

चंद बूंदों से सही , फिर भी हूँ बाँट रही ।

आँखें मूँद धरती की गोद में हूँ समाती

कण कण से अपने सरलता को हूँ छांट रही ॥

 

मनुष्य , फिर तुम क्यों हो थमे हुए

सक्षम हो , श्रेष्ठ जीवन है प्राप्त किया ।

अहम और स्वयं में हो क्यों फसे हुए

जब सृष्ठि ने है तुमको प्रताप दिया ॥

 

तुम भी हो समय की एक धारा

जीवन आया है , फिर लौट जायेगा ।

क्षण क्षण से अपने करो कुछ उद्धार

आने वाला हर जीवन फल जिसका पायेगा ॥

 

मैं तो धारा हूँ , नदिया बन दायित्व निभायूँगी

तुमने तो एक ही जीवन पाया है ।

आँखें खोलो , माया छोड़ो , नवजीवन करो प्रदान

मनुष्य , इस कारणवष तू यहाँ आया है ॥

 

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मेरी माँ (1988)

हर्षा देती है मेरी माँ
   उत्साहित करती है मेरी माँ ।
हँसी – हँसी मे प्रस्तुत है वोह
   ख़ुशी – ख़ुशी मे है वोह ।
निराशा को आशा में बदल देती है
   मेरे लिए तो देवी का रूप धारण कर लेती है ।
खाती है , खिलाती है , हमेशा खुशियाँ लाती है
   सारे घर को उत्साह देती है वोह ।
सारी खुशियाँ उसी से आईं
   नहीं तो घर मे उदासी छाई ।
सदा प्रेम बच्चों से करने वाली
   वो देवी आसमान से उतर कर आई ।।

dedicated to my mother, forever!

@kanchan

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