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Archive for September, 2017

Aarya (2017)

For my lovely Aarya on her first birthday!

आज सवेरा कुछ अद्भुत सा है

ना पंछियों की चह चाहट है

ना ही आसमां में रंग है

फिर भी ज़हन में नया आगाज़ है

 

मैं उठ चला ढूढ़ने कुछ

पर मालूम नहीं वोह है क्या

इधर उधर झाँक लिया सवेरा

पर ओझल सा है फिर भी सब कुछ

 

खिल खिलाहट सी है अब कोई सुनाई दी

कुछ इतरन सी महसूस हो रही हवाओं में

हलके से कदमों की आहट है आने लगी

और दो धड़कने सुर हैं मिलाने लगी

 

देखते ही समां अब बदल सा गया

उत्साह से पंछी हैं चहक रहे , रंगों में नए रंग हैं

सुनहरे फूलों से बिछी है उसकी राह

मेरी ज़िन्दगी बनकर आ रही है आर्या

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एहसास (2017)

अभी आँखे खोली हैं मैंने

लम्बे दौर के बाद हूँ जागा

ओझल सा है नज़ारा सामने

एक नए समय में अभी नहीं तकाज़ा

 

कल तक था मैं चल रहा अकेले

अब कई मुसाफिर हैं साथ मेरे

कल तक मैंने थी एक राह बनाई

अब कई राहें हैं सामने मेरे

 

मैं उठ रहा हूँ इस दौर से

दस्तक देता नए दरवाज़ों पर

एक हाथ से थामा है आज को

और निगाहें हैं आगाज़ों पर

 

कुछ दीवारें अभी बनी नहीं

इमारतें भी नयी पुरानी हैं

दूर तलक देख रहा हूँ अब

कल की झलक अभी रूहानी है

 

आँख अब सो सकती नहीं

मंज़र नज़र आने सा लगा है

हाथ खोल समेट रहा हूँ यह क्षण

यह नया दौर मुझे अपनाने लगा है

 

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