Jazba (2014)
February 9, 2014 by Ash
दर्द हुआ आवाज़ों में
लहू निकला बाज़ारों में
शोर हुआ शमशानों में
एक और नाम गया किताबों में ।
एहसास हुआ इंसानों को
पर काटा भी इंसानों ने
बैर लगा इतिहासों को
पर लाल रंग ही था दरारों में ।
एक गिरा तो और उठ आये
कोई कमी नहीं हथियारों में
सूखी आँखें अब भी हैं आस लगाये
पर कोई शिकवा नही इन कतारों में ।
थामे जज़बाद कुछ जवानों ने
आवाज़ लगाई दीवानों ने
मैंने लफ्ज़ उतारे हैं किताबों में
तुम इंसानियत का जज़बा उतार दो इंसानों में ॥

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