Posted in Life, Love, Poetry, tagged Hindi, hindi-poem, India, poem, Poetry on January 3, 2024|
साथ (2023)
कहते हैं वोह के हम उनके साथ नहीं
पर हमारी मंज़िल तो हैं वोह
कहीं सोच बदली तो कहीं बदले ख़यालात
पर फासले तो अंदर से मिटें हैं
कभी मुस्कुरा दिए तो कभी हुए नाराज़
पर हमारी नज़रों में तो अब भी हैं वोह
ज़िन्दगी का दायरा है शायद बदल लिया
पर हमारा तो है आज भी वही आगाज़
कभी फिर से मांगो मेरा हाथ
हम तुमसे दूर नहीं
कल आज और कल में बदली हैं ज़िन्दिगियां
पर हम फिर भी होंगे उनके साथ
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Posted in creative, Life, Management, Poetry, social, tagged Hindi, hindi-poem, India, Life, lifestyle, poem, Poetry, values on September 12, 2021|
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किले बने नही इट पत्थर से
किले हैं बने दिलो दिमाग के खैमानो से ||
जंग जीती नहीं तलवारो ने
जंग जीती है शेरदिल मस्तानो ने ||
प्यार मोहब्बत की सुर्खियां है किताबों मे
पर कहानियां लिखीं है दीवानों ने ||
पैरों पर खड़े हुए नहीं अपने आप में
पहुंचाया हैं माँ बाप के त्यागे अरमानों ने ||
दुनिया बदली नही वक़्त के तकाज़े से
दुनिया बदली है जुनून वाले इंसानों ने ||
इमारते बानी नहीं मशीनो से
एक एक ईट से है बनाई दुनिया बदलने वालोँ ने ||
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Posted in India, Life, Poetry, Society, tagged ahlcon, Hindi, hindi-poem, India, Poetry on September 15, 2017|
अभी आँखे खोली हैं मैंने
लम्बे दौर के बाद हूँ जागा
ओझल सा है नज़ारा सामने
एक नए समय में अभी नहीं तकाज़ा
कल तक था मैं चल रहा अकेले
अब कई मुसाफिर हैं साथ मेरे
कल तक मैंने थी एक राह बनाई
अब कई राहें हैं सामने मेरे
मैं उठ रहा हूँ इस दौर से
दस्तक देता नए दरवाज़ों पर
एक हाथ से थामा है आज को
और निगाहें हैं आगाज़ों पर
कुछ दीवारें अभी बनी नहीं
इमारतें भी नयी पुरानी हैं
दूर तलक देख रहा हूँ अब
कल की झलक अभी रूहानी है
आँख अब सो सकती नहीं
मंज़र नज़र आने सा लगा है
हाथ खोल समेट रहा हूँ यह क्षण
यह नया दौर मुझे अपनाने लगा है
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