dedicated to all the women in India who are subject to societal, cultural and religious atrocities.
एक नर की नारी हूँ मैं
नरों ने अस्तितिव बनाया यह
युगों युगों से अबला हैं मुझको कहते
दबे दबे से मेरे अरमां मुझमे है रहते |
शीश झुका सबको संभाला
उनके रंगों में खुद को ढाला
कलम किताबों में देवी बनाया
पर मेरे जीवन में वोह पल ना आया |
कुछ युगों में उठी , फिर भुला दिया
मेरी कहानी को इतिहास में दबा दिया
और दहलीज़ जब लांघ कर आई
एक किरण थी हाथों में पर खुद को अकेला पाई |
आज जब आईने में देखा खुद को
तेज़ प्रताप नज़र आया मुझको
मैं हूँ शक्तिशाली
नही मैं अब नर की नारी |
कोई दहलीज़ नहीं , यह जग है मेरा
तुमसे मिला वक़्त , अब है मेरा
जाग्रित हूँ , साहस है , नए युग का है एहसास
अब मैं मैं हूँ , यह है मेरी आवाज़ ||
Top right picture courtsey: http://visualmantra.wordpress.com
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